बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ।
1861 में अंग्रेज़ों की बनाई IPC धारा 377 के अनुसार आदमी-आदमी के प्यार को अपराध करार दिया गया था। आज डेढ़ सौ साल बाद हम इस धारा को हटाने के प्रयासों में असफल हो गए हैं। मेरे हर दोस्त का इस बारे में कुछ कहना है, और बहुत कम लोगों को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ग़लत लगा है। मुझसे पहले की पीढ़ी के लोगों के ऐसे विचार हों, ऐसा स्वाभाविक है, पर मेरी पीढ़ी और कुछ मुझ से अगली पीढ़ी के कुछ लोगों के भी इस मामले पर विचार कुछ पुराने हैं। स्वयं को इस शोर में अकेला तो पा रहा हूँ, पर एक खुशी है कि यह चर्चा अब बंद नहीं होने जा रही, और जितनी चर्चा होगी, उतनी लोगों को सूचना मिलेगी और उतनी लोगों की आँखें खुलेंगी। ऐसी मेरी उम्मीद है। मैं स्वयं भी पहले समलैंगिकता के विषय पर पूरी तरह निष्पक्ष नहीं था, इस कारण मैं किसी को पूरी तरह दोषी भी नहीं ठहराता। पर जैसे जैसे और जानकारी हासिल की, मेरे विचार बदले। आशा करता हूँ कि और लोग भी आँखें खुली रखेंगे, जानकारी हासिल करेंगे, और फिर निर्णय लेंगे।